मुख्य बिन्दू :-
- 1985 में संविधान का 52वाँ संशोधन किया गया। इसे ‘दलबदल निरोधक कानून’ कहते हैं।
- इसे बाद में 91वें संविधान संशोधन द्वारा दुबारा संशोधित किया गया। सदन का अध्यक्ष दलबदल से संबंधित विवादों पर अंतिम निर्णय लेता है।
- संसद द्वारा कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाने का सबसे सशक्त हथियार 'अविश्वास प्रस्ताव’ है।
- ‘प्रश्नकाल’ सरकार की कार्यपालिका और प्रशासकीय एजेंसियों पर निगरानी रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
- चुनाव ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार’ के आधार पर होता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के मत का मूल्य दूसरे व्यक्ति के मत के मूल्य के बराबर होता है। इस समय लोक सभा के 543 निर्वाचन क्षेत्र हैं।
- लोक सभा के सदस्यों को 5 वर्ष के लिए चुना जाता है।लेकिन यदि कोई दल या दलों का गठबंधन सरकार न बना सके अथवा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को लोक सभा भंग कर नए चुनाव कराने की सलाह दे,तो लोक सभा को 5 वर्ष से पहले भी भंग किया जा सकता है।
- निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त राज्य सभा में 12 मनोनीत सदस्य होते हैं जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल की हो उन्हें राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
- हमारी राष्ट्रीय विधायिका का नाम संसद है।
- राज्यों की विधायिकाओं को विधानमंडल कहते हैं।
- भारतीय संसद में दो सदन हैं। जब किसी विधायिका में दो सदन होते हैं, तो उसे द्वि-सदनात्मक विधायिका कहते हैं।
- उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्य सभा में ही लाया जा सकता है।
- जिस दल या दलों के गठबंधन को लोकसभा में बहुमत हासिल होता है उसी के सदस्यों को मिलाकर संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका बनती है।
- विधयिका में कुछ भी कहने के बावजूद किसी सदस्य के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।तो इसे संसदीय विशेषाधिकार कहते हैं।