मुख्य बिंदु :-
- न्यायपालिका व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करती है|
- 1973 में तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों को छोड़कर न्यायमूर्ति ए एन रे को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
- 1975 में न्यायमूर्ति एच आर खन्ना को पीछे छोड़ते हुए न्यायमूर्ति एम एच बेग की नियुक्ति की गई।
- 1991 में पहली बार संसद के 108 सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
- 1992 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की एक उच्च स्तरीय जाँच समिति ने न्यायमूर्ति वी रामास्वामी को पंजाब और हरियाणा के मुख्य न्यायाधीश रहते ‘सार्वजनिक धन का निजी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने और संवैधानिक नियमों की धज्जी उड़ाने केकारण नैतिक पतन तथा पद का जान-बूझकर गंभीर दुरुपयोग’ करने का दोषी पाया।
- अनुच्छेद 137 " उच्चतम न्यायालय को अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश का पुनरावलोकन करने की शक्ति होगी।’’
- अनुच्छेद 144 ‘‘भारत के राज्य-क्षेत्र के सभी सिविल और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता से कार्य करेंगे।’’
- अनुच्छेद 32 " बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश आदि जारी करके मौलिक अधिकारों को फिर से स्थापित कर सकता है।
- अनुच्छेद 226 " उच्च न्यायालयों को भी ऐसी रिट जारी करने की शक्ति है|
- अनुच्छेद 13 " सर्वोच्च न्यायालय किसी कानून को गैर-संवैधनिक घोषित कर उसे लागू होने से रोक सकता है|
- न्यायपालिका देश की लोकतांत्रिक राजनीतिक संरचना का एक हिस्सा है।और न्यायपालिका देश के संविधान, लोकतांत्रिक परंपरा और जनता के प्रति जवाबदेह है।