अध्याय-समीक्षा
- महाभारत वास्तव में ही एक बदलते रिश्तों की एक कहानी है | यह चचरे भाइयो के दो दलों –कौरवो और पांडवो के बीच भूमि और सत्ता को लेकर हुए संघर्ष का वर्णन करती है | दोनों ही दल कुरु वंश से संबंधित थे जिनका कुरु जनपद पर शासन था | उनके संघर्ष ने अंततः एक युद्ध का रूप ले लिया जिसमे पांडव विजय हुए |
- पितृवंशिकता की परंपरा महाकाव्य की रचना से पहले भी प्रचलित थी, परंतु महाभारत की मुख्य कथावस्तु ने इस आदर्श को और सुदृढ़ किया | पितृवंशिकता का अनुसार पिता की मृत्यु के बाद उसके पुत्र उसके संसाधनों पर अधिकार जमा सकते थे | राजाओं के संदर्भ में राजसिंहासन भी शामिल था |
- महाभारत की मूल कथा के मौखिक रचियता संभवतः भाट सारथी थे जिन्हें सूत कहा जाता था | वे लोग क्षत्रिय योद्धाओं के साथ युद्ध -क्षेत्र में जाते थे और इनकी विजयों तथा वीरतापूर्ण कारनामों के बारे में कविताएँ लिखते थे
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इतिहासकारों द्वारा विश्लेषण – इतिहासकारों ने महाभारत का विश्लेषण करते हुए निम्नलिखित चार पहलुओं - ग्रन्थ की भाषा आम बोलचाल की भाषा थी अथवा किसी विशेष वर्ग की भाषा|,ग्रन्थ किस प्रकार का है – मंत्रो के रूप में अथवा कथा के रूप में, जिसे आम लोगो द्वारा पढ़ा अथवा सुना जाता था ,ग्रन्थ का लेखक कोण था और उसने किस दृष्टिकोण से इसे लिखा होगा , ग्रन्थ किसके लिए लिखा गया होगा
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ब्राह्मण ग्रंथो के अनुसार वर्ण –व्यवस्था तथा व्यवसाय के बीच संबंध – ब्राह्मण – वेदों का पठन –पाठन, यज्ञ करना –करवाना तथा दान लेना –देना | क्षत्रिय – युद्ध करना, लोगो की सुरक्षा करना, न्याय करना, वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना और दान –दक्षिणा देना |वैश्य – वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना और दान –दक्षिणा देना और कृषि व्यापार एवं गौ – पालन करना | शुद्र – अन्य तीन वर्णों की सेवा करना |
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ब्राह्मणों ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाये –
1. वर्ण –व्यवस्था की उत्पति को दैवीय –वयवस्था बताना |
2. शासको द्वारा इस व्यवस्था को लागू करवाना |
3. लोगो को यह विश्वास दिलाना कि उनकी प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है |
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वनों में रहने वाले लोगो के है जिनके लिए शिकार और कंद –मूल इक्टठा करना जीवन निर्वाह का महत्वपूर्ण साधन था | निषाद (शिकारी) वर्ग इसका कारण है |कभी –कभी उन लोगो की जो असंस्कृत भाषी थे, उन्हें मलेच्छ कहकर हिन दृष्टि से देखा जाता था परंतु इन लोगो के बीच विचारों और मतों का आदान –प्रदान होता रहता था उनके संबंधो के स्वरुप के बारे में हमें महाभारत की कुछ कथाओं से जानकारी मिलती है
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- ब्राह्मणीय ग्रंथो के अनुसार लैंगिक आधार के अतरिक्त संपति पर अधिकार का एक अन्य आधार वर्ण था | शुद्रो के लिए एकमात्र ‘जीविका’ अन्य तीन वर्णों की सेवा थी परन्तु पहले तीन वर्णों के पुरूषों के लिए विभिन्न जिविकाओं की संभावना रहती थी
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- ब्राह्मणीय ग्रंथो के अनुसार लैंगिक आधार के अतरिक्त संपति पर अधिकार का एक अन्य आधार वर्ण था | शुद्रो के लिए एकमात्र ‘जीविका’ अन्य तीन वर्णों की सेवा थी परन्तु पहले तीन वर्णों के पुरूषों के लिए विभिन्न जिविकाओं की संभावना रहती थी
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