अध्याय-समीक्षा
- मुग़ल कोन थे - दो महान शासक वंशो के वंशज थे | माता कि ओर से वे चीन और मध्य एशिया के मंगोल शासक चंगेज खां ( जिनकी म्रत्यु 1227 इसवी में हुई ) के उतराधिकारी थे | पिता कि और से वे ईरान एव वर्तमान तुर्की के शासक तेमूर ( जिनकी म्रत्यु 1404 इसवी में हुई ) के वंशज थे | परन्तु मुगल अपने अपने आप को मुगल या मंगोल कहलवाना पसंद नि करते थे | ऐसा इस लिए था क्योकि चंगेज खां से जुडी स्मृतिया मुगलों के प्रतियोगियों उज्वेग से भी सम्बन्धित थी |दूसरी तरफ मुगल , तेमूर के वंशज होने पर गर्व का अनुभव करते थे | ऐसा इसलिए क्योकि उनके इस महान पूर्वज ने 1390 इसवी में डेल्ही पर कब्जा क्र लिया था |
- मुगलों ने अपनी वंशावली का प्रदर्शन चित्र बनवाकर किया | प्रत्येक मुगल शासक ने तेमूर के साथ अपना चित्र बनवाया | पहला मुगल शासक बाबर मातृपक्ष से चंगेज खां का सम्बन्धी था | वो तुर्की बोलता था और उसने मुगलों का उपहास करते हुए उन्हें बाबर गिरोह के रूप में उलेखित किया | 16 वी शताब्दी के दोरान यूरोपियो ने परिवार कि इस शाखा के भारतीय शासको का वर्णन करने के लिए मुगल शब्द का प्रयोग किया | यहाँ तक कि रडयार्ड किपलिंग कि ( जंगल बुक ) के युवा नायक मोगली का नाम में इससे व्युत्पन्न हुआ है |
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बाबर 1526 इसवी - 1530 इसवी प्रथम मुगल शासक बाबर ( 1526 इसवी - 1530 इसवी ) ने जब 1494इसवी में फरगाना राज्य का उतराधिकारी प्राप्त किया तो उनकी उम्र केवल 12 वर्ष कि थी | मंगोलों कि दूसरी शाखा , उजबेगो के आक्रमण के कारण उसे अपनी पेत्रक गद्धी छोडनी पड़ी | अनेक वर्षो तक भटकने के बाद उसने 1540 इसवी में काबुल पर लिया | उसने 1526 इसवी में काबुल पर कब्जा कर लिया | उसने 1526 इसवी में दिल्ली के इब्राहीम लोदी को पानीपत में हराया और दिल्ली , आगरा , को अपने कब्जे में कर लिया | 1527 इसवी में खानुवा में राणा सांगा राजपूत राजाओ और उनके समर्थको को हराया | 1528 इसवी में चंदेरी में राजपूतो को हराया |
- हुमायूँ - हुमायूँ ने अपने पिता कि वसीयत के अनुसार जायदाद का बटवारा किया | प्रत्येक को एक प्रांत मिला | उसके भाई मिर्जा कामरान कि मह्त्व्कंशाओ के कारण अपने अफगान प्रतिद्वंदियो ने सामने फीका पड़ गया | शेर खान ने हुमायु को दो बार हराया , 1539 इसवी में चौसा में एव 1540 इसवी कन्नोज में | इन पराजयों ने हुमायूँ को ईरान कि ओर भागने को भागने को बाध्य किया | ईरान में हुमायु ने सफाविद शाह कि मदद ली | उसने 1555 इसवी में दिल्ली पर पुंज कब्जा कर लिया परन्तु उससे अगले वर्ष इस इमारत में दुर्घटना में उसकी म्रत्यु हो गयी |
- अकबर - 13 वर्ष कि अल्पायु में सम्राट बना | 1568 इसवी में सिसिदयो कि राजधानी चितोड़ और 1569 इसवी में रणथम्भोर पर कब्जा कर लिया | 1579 इसवी 1580 इसवी के बिच मिर्जा हाकिम के पक्ष में विद्रोह हुए | सफविदो को हराकर कंधार पर कब्जा किया और कश्मीर को भी जोड़ लिया | मिर्जा हाकिम कि म्रत्यु के पश्चात काबुल को भी अपने राज्य में मिला लिया | दक्कन के अभियानों कि शुरुआत हुई |
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जहाँगीर - मेवाड़ के सिसोदिया शासक अमर सिंह ने मुगलों कि सेवा स्वीकार कि इसके बाद सिक्खों , अहमो और अहमदनगर के खिलाफ अभियान चलाये गये , जो पूर्णत सफल नही हुए | जहाँगीर के शासन के अंतिम वर्षो में राजकुमार खुर्म जो बाद में सम्राट शाहजहाँ कहलाया , ने विद्रोह किया |
- शाहजहाँ - अफगान अभिजात खान जहान लोदी ने विद्रोह किया और वह पराजित हुआ | अहमदनगर के विरुद्ध अभियान हुआ , जिसमे बुंदेलो कि हार हुई और ओरछा पर कब्जा कर लिया गया | उत्तर - पश्चिम में बल्ख पर करने के लिए उज्बेगो के विरुद्ध अभियान हुआ , जो असफल रहा | परिनाम्सव्रूप कांधार सफविदो के हाथ में चला गया |