अध्याय-समीक्षा
- शीतयुद्ध के दौरान विश्व दो गुटों में बंट गया, एक गुट का नेता अमेरिका और दूसरे गुट का नेता सोवियत संघ था।
- दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ द्विध्रुवियता का अंत हुआ और अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा।
- बर्लिन की दीवार पूँजीवादी व साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक थी। 1961 में बनी इस दीवार को 9 नवंबर, 1989 को तोड़कर पूर्वी व पश्चिमी जर्मनी का एकीकरण कर दिया गया।
- सोवियत प्रणाली-योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था व राज्य द्वारा नियंत्रित, साम्यवादी दल के अलावा अन्य राजनीतिक दल के लिए जगह नहीं, संचार प्रणाली उन्नत पर सरकार का एकाधिकार, बेरोजगारी नहीं, नौकरशाही का सख्त शिकंजा, नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, सभी नागरिकों को न्यूनतम जीवन स्तर की प्राप्ति। 1970 के दशक के अंत में सोवियत व्यवस्था लड़खड़ा गई थी।
- मिखाईल गोर्वाचावे, जो 1980 के दशक के मध्य में USSR की साम्यवादी पार्टी के अध्यक्ष बनें, ने देश के अंदर आर्थिक, राजनीतिक सुधारों तथा लोकतंत्रीकरण की नीति चलाई।
- सोवियत संघ के भीतर सकंट गहराता गया, विघटन की गति तेज हुई व दिसम्बर 1991 में बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में इसके तीन बड़े गणराज्यों रूस, यूक्रेन व बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की। स्वतंत्रा राज्यों का राष्ट्रकुल (Common wealth of Independent States - CIS) बना। अब विश्व परिदृश्य पर 15 नए गणराज्य सामने आए।
- सोवियत संघ का विघटन: राजनीतिक आर्थिक संस्थाए आंतरिक कमजोरियों के कारण जनता की आकांक्षाएं पूरी नहीं कर सकी। संसाधनों का अधिकांश हिस्सा परमाणु हथियारों व सैन्य सामान पर खर्च होने लगा। नागरिकों को जानकारी हो गई कि सोवियत राजव्यवस्था और अर्थव्यवस्था, पश्चिमी पूँजीवादी अर्थव्यस्था से बेहतर नहीं है | इसके साथ ही गतिरुद्ध प्रशासन, भ्रष्टाचार, सत्ता का केन्द्रीयकरण आदि प्रमुख कारण थे |
- सोवियत संघ के विघटन के परिणाम: सोवियत संघ के विघटन के कारण शीतयुद्ध के संघर्ष के दौर की समाप्ति हुई | इससे विश्व राजनीती में शक्ति संबंधों में बदलाव हुए और विश्व एक ध्रुवीय बना |