अध्याय-समीक्षा
- भारत बड़ी विकट और चुनौतीपूर्ण अन्तराष्ट्रीय परिस्थितियों में आजाद हुआ था दुनिया महायुद की तबाही से अभी बाहर निकली थी और उसके सामने पुननिर्माणों का सवाल प्रमुख था एक अंतराष्टीय संस्था बनाने के प्रयास हो रहे थे और उपनिवेशवाद की समाप्ति के फलस्वरूप दुनिया के नक्शे पर नए देश नमूदार हो रहे थे | नए देशो सामने लोकतंत्र कायम करने और अपनी जनता की भलाई कने की दोहरी चुनैती थी | स्वतन्त्रता के तुरंत बाद भारत ने जो विदेश नीति अपनाई उनमे हम इन सरे सरोकारों की झलक पते है |
- एक राष्ट्र के रूप में भारत का जन्म विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि में हुआ था | ऐसे में भारत ने अपनी विदेश नीति में अन्य सभी देशी की संप्रभुता का सम्मान करने और शांति कायम करके अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य सामने रखा | इस लक्ष्य की प्रतिध्वनी संविधान के नीति- निर्देशक सिदान्तो में सुनाई देती है |
- क्या 1950 और 1960 के दशक की विश्व राजनीति में भारत इन दोनों में से किसी खेमे में शामिल था ? क्या भारत अपनी विदेशी नीति को शांतिपूर्ण ढंग से लागु करने और अंतराष्टीय झगड़ो से बचे रहने में सफल रहा ?
- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन अपने आप में कोई स्वतंत्र घटना नही है | पूरी दुनिया में उपनिवेशवाद और समर्ज्यवाद के विरूद संघर्ष चल रहे थे और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन भी इसी विश्वव्यापी संघर्ष का हिंसा था | इस आन्दोलन का असर एशिया और अफ्रीका के कई मिक्त आंदोलनों पर हुआ | आजादी मिलाने से पहले भी भारत के राष्ट्रीवादी नेता दुनिया के थे | नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इडियन नेशनल आर्मी '(आई.एन.ए.) का गठन किया था |इससे साफ-साफ जाहिर होता है |
- भारती के पहले प्रधनमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय एजेंडा तय करने में निर्णायक भूमिका निभाई | वे प्रधनमंत्री के साथ -साथ विदेश मंत्री भी थे | प्रधनमंत्री और मंत्री के रूप में 1946 से 1964 तक उन्होंने भारत की विदेश नीति की रचना और किर्यान्वयन पर गहरा प्रभाव डाला | नेहरू की विदेश नीति के तीन बड़े उदेश्य थे - कठिन संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना, क्षेत्रीय अखण्डता को बनाए रखना और तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना |
- 1956 में जब ब्रिटेन ने स्वेज नहर के मामले को लेकर मिस्र पर आक्रमण किया तो भारत ने इस नव - ओप्निवेशिक हमले के विरूद विश्वव्यापी विरोध की अगुवाई की | इसी साल सोवियत संघ ने हंगरी पा आक्रमण किया था |
- भारत अभी बाकी विकासशील देशो को गुटनिरपेक्षता की नीति के बारे में आश्वस्त करने में लगा था कि पाकिस्तान अमरीकी नेत्रित्व वाले सैन्य-गठबंधन में शामिल हो गया | इस वजह से 1950 के दशक में भारत - अमरीकी संबंधो में खटास पैदा हो गई |
- नेहरू के दौर में भारत ने एशिया और अर्फीका के नव-स्वतंत्र देशो के साथ संपर्क बनाए |1940 और 1950 के दशको में नेहरू बड़े मुखर स्वर में एशियाई एकता की पैरोकारी करते रहे |नेहरू की अगुवाई में भारत ने 1947 के मार्च में ही एशियाई संबंध सम्मेलन (एशियन रिलेशंस कंफेड्स ) का आयोजन कर डाला था जबकि अभी भारत को आजादी मिलाने में पांचमहेने शेष थे भारत ने इडोनेशिया की आजादी के लिए भरपूर प्रयास किए | भारत चाहता था कि इंडोनेशिया डच ओप्निवेशिक शासन से यथासंभव शीर्घ मुक्त हो जाए |
- पाकिस्तान के साथ अपने संबंधो के विपरीत आजाद भारत ने चीन के साथ अपने रिश्तो की शुरूआत बड़े दोस्ताना ढंग से की | चीन क्रांति 1949 में हुई थी | इस क्रांति के बाद भारत चीन की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता देने वाले देशो में था | पश्चिमी प्रभुत्व के चंगुल से निकालने वाले इस देश को लेकर नेहरू के ह्दय में गहरे भाव थे और उन्होंने अन्तराष्ट्रीय फलक पर इस सरकार की मदद की |
- 1957 से 1959 के बीच चीन ने अक्साई -चीन इलाके पर कब्जा कर लिया और इस इलाके में उसने रणनीतिक बढत हासिल करने के लिए एक सडक बनाई | ठीक उसी समय चीन ने 1962 के अक्टूबर में दोनों विवादित क्षेत्रों पर तेजी तथा व्यापक स्टार हमला किया |
- चीन -युद्ध से भारत की छवि को देश विदेश दोनों ही जगह धक्का लगा | इस संकट से उबरने के लिए भारत को अमरीकी और और ब्रिटेन दोनों से सैन्य मदद की गुहार लगानी पड़ी | नेहरू के नजदीकी सहयोगी और तत्कालीन रक्षामन्त्री वी.के. किष्णमेनन को भी मंत्रीमंडल छोड़ना पड़ा |
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1964 में टूट गई | इस पार्टी के भीतर जो खेमा चीन का पक्षधर था उसने मार्कवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई.एम्. माकपा) बनाई | चीन युद्ध के कर्म में माकपा के कई नेताओ को चीन का पक्ष लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया |
- कश्मीर मसले को लेकर पाकिस्तान के साथ बंटवारे के तुरंत बाद ही संघर्ष छिड़ गया था | 1947 में ही कश्मीर में भारत और पाकिस्तान की सेनाओ के बीच एक छायुद्धछिड़ गया था | बहरहाल ,यह संघर्ष पूर्णव्यापी युद्ध का रूप न ले सका | नेहरू और जनरल अयूब खान ने सिधु नदी जल संधि पर 1960 में हस्ताक्षर किए |
- दोनों देशों के बीच 1965 में कही ज्यादा गभीर किस्म के सैन्य- संघर्ष की शूरूआत हुई | आप अगले अध्याय में पढेगे कि इस वक्त लालबहादूर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री थे |1965 के अप्रैल में पकिस्तान ने गुजरात के कच्छ इलाके के रन में सैनिक हमला बोला|
- संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से इस लड़ाई का अंत हुआ | बाद में भारतीय प्रधानमंत्री लालबहादूर शास्त्री और पाकिस्तान के जनरल अयूब खान के बीच 1966 में ताशकंद - समझौता हुआ | हालाँकि 1965 की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को बहुत ज्यादा सैन्य क्षति पहुँचाई लिकिन इस युद्ध से भारत की कठिन आर्थीक स्थिति पर और ज्यादा बोझ पड़ा |
- 1970 में पाकिस्तान के सामने एक गहरा अंदरुनी संकट आ हुआ | पाकिस्तान के पहले आम चुनाव में खंडित जनादेश आया | जूल्फ्कार अली भुट्टो की पार्टी पश्चिमी पाकिस्तान में विजयी रही जबकि मुजीबुर्रहमान की पार्टी अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में जोरदार कामयाबी हासिल की |
- इसकी जगह पाकिस्तान सेना ने 1971 में शेख मुजीब को गिरफ्तार कर और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर जुल्म ढाने शुरू किए |1971 में पूरे साल भारत को 80 लाख शरणार्थियों का बोझ वहन करना पड़ा |
- पाकिस्तान को अमरीका और चीन ने मदद की 1960 के दशक में अमरीका और चीन के बीच संबंधो को सामान्य करने की कोशिश चल रही थी और इससे एशिया में सता - समीकरण नया रूप ले रहा था | अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के सलाहकार हेनरी किसीजर ने 1971 के जुलाई में पाकिस्तान होते हुई गुपचुप चीन का दौरा किया |
- अमरीकी- पाकिस्तान-चीन की धुरी बनती देख भारत ने इसके जवाब में सोवियत संघ के साथ 1971 में शांति और मित्रता की एक 20 - वर्षीय संधि पर दस्तखत किए |महीने राजनयित तनाव और सैन्य तैनाती के बाद 1971के दिसंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच एक पूर्णव्यापी युद्ध छिड़ गया | पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने पंजाब और राजस्थान पर हमले किए जबकि उसकी सेना ने जम्मू-कश्मीर में अपना मोर्चा खोला |
- दिनों के अन्दर भारतीय सेना ने ढाका को तीन तरफ से घेर लिया और अपने 90,000 सैनिको के साथ पाकिस्तानी सेना को आत्मा-समर्पण करना पड़ा |बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र के उदय के साथ भारतीय सेना ने अपनी तरफ से एकतरफा युद्ध-विराम घोषित कर दिया बाद में 3 जुलाई 1972 को इदिरा गांधी और जुल्फकार अली भुट्टो के बीच शिमला- समझौता पर दस्तखत हुए और इससे अमन की बहाली हुई |
- भारत ने अपने सीमित संसाधनो के साथ नियोजित विकास की शुरूआत की थी | पड़ोसी देशो के साथ संघर्ष के कारण पंचवर्षीय योजना पटरी से उतर गई 1962 के बाद भारत को अपने सीमित संसाधन खासतौर से रक्षा क्षेत्र में लगाने पड़े | भारत को अपने सैन्य ढाँचे का आधुनिकीकरण करना पड़ा |1962 में रक्षा -उत्पाद और 1965 में रक्षा आपूर्ति विभाग की स्थापना हुई | तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) पर असर पड़ा और इसके बाद लगातार तीन एक - वर्षीय योजना पर अम्ल हुआ | चौथा पंचवर्षीययोजना 1969 में ही शुरू हो सकी |
- भारत 1974 के मई में परमाणु परीक्षण किया |इसकी शुरूआत 1940 के दशक के अंतिम सालो में होमी जहांगीर भाभा के निर्देशन में हो चुकी थी | सम्यवादी शासन वाले चीन ने 1964 के अक्टूबर में परमाणु परीक्षण किया | 1973 में अरब-इजरायल युद्ध हुआ था