अध्याय - समीक्षा:
- पृथ्वी की गति दो प्रकार की हैं- घूर्णन एवं परिक्रमण|
- पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता हैं|
- सूर्य के चारों और स्थिर कक्षा में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं|
- पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा हैं, जो इसके कक्षीय सतह से 661/2o का कों बनाती हैं| वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता हैं, उसे कक्षीय समतल कहते हैं|
- प्रथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती हैं| पृथ्वी का आकर गोले के सामन हैं, इसलिए एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही सूर्य की रोशनी प्राप्त होती हैं| सूर्य की और वाले भाग में दिन होता आहें, जबकि दूसरा भाग जो सूर्य से दूर होता हैं वहाँ रात होती हैं| ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता हैं उसे प्रदीप्ति वृत्त कहते हैं|
- 21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणे विषुवृत्त वृत्त पर सीधी पड़ती हैं| इस अवस्था में कोई भी ध्रुव सूर्य की और नहीं झुका होता हैं, इसलिए पूरी अवस्था में कोई ध्रुव सूर्य की और नहीं झुका होता हैं, इसलिए पूरी पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं| इसे विषुव कहा जाता हैं|
- 21 जून को कुछ क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती हैं पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते हैं|