अध्याय - समीक्षा:
- लगभग 150 साल पहले जब रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी तो वहाँ से हड़प्पा पुरास्थल मिला, परन्तु उस समय इसे खंडहर सांझा गया व लोग यहाँ से इटें उखांड कर लि गए थे|
- यहाँ के नगर दो भागों में विभाजित एक ऊँचाई वाला भाग था जो दुर्ग कहलाता था जहाँ शासक वर्ग रहा करते थे दूसरा निचला नगर था यहाँ आम लोग रहते थे|
- महान स्न्नागार: इसके दोनों और सीढिया बनी थी और चारों तरफ कामरे बने हुए थे|
- हड़प्पा, मोहनजोदड़ों व लोथल से भंडार ग्रहों के अवशेष मिले हैं|
- यहाँ नगर नियोजन पद्धति थी घर, नाली व सदके योजनाबद्ध तरीके से तैयार थे|
- यहाँ पत्थर, शंख, तांबे, काँसे, सोने, चाँदी से निर्मित वस्तुओं की प्राप्ति हुई हैं| यहाँ के मनके, बाट व मोहर विश्व प्रसिद्ध हैं|
- 7000 साल पहले मोहनजोदड़ो से कपास की खेती के प्रमाण मिले हैं|
- ताम्बे का आयात राजस्थान व ओमन से, तीन का आयात ईरान व अफगानिस्तान से, सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक व पत्थरों का आयत गुजरात, ईरान व अफगानिस्तान से|
- लोग गेहूँ, जौ, मटर, धान, टिल, व सरसों उपजाते थे|
- धौलावीरा से बड़े पत्थरों की प्राप्ति जिस पर हड़प्पा लिपि लिखी हुई हैं|
- लोथल नगर में पत्थरों, शंखों व धातुओं से बनी चीज़ का महत्त्वपूर्ण केंद्र था|
- पतन के कारण: लेखन, मुद्रण व बाटो का प्रयोग बंद हुआ, व्यापार में हानि हुई, नदियाँ सूख गई, जंगलों का विकास हुआ, बाढ़ आने लगे व शासकों का नियंत्रण कम हो जाना|