अध्याय - समीक्षा:
- ऋग्वेद में 1000 से ज्यादा प्राथनाएं हैं| इसनें विभिन्न डेवी देवताओं की स्तुति हैं (अग्रि, इंद्र, सोम)| इंद्र युद्ध के देवता हैं|
- इनकी रचना ऋषियों ने की वेदों की भाषा प्राक संस्कृत| इसमें मवेशियों, बच्चों व घोड़े की प्राप्ति के लिए प्रार्थनाये हैं|
- युद्ध में जीते हुए धन का कुछ भाग सरदार, कुछ पुहोरित को मिलाता बाकी आम जनता में बांट दिया जाता|
- ऋग्वेद में दो समूहों का वर्णन पुरोहित व राजा| राजा महलों में नहीं रहते थे न ही उनके पास सेन थी और न ही ये पड़ वंशानुगत था|
- जनता के लिए जन व विष शब्द का प्रयोग होता था|
- आर्य लोग अपने विरोधियों को दस्यु कहते थे क्योंकि ये लोग यज्ञ नहीं करते थे और दूसरी भाषा बोलते थे|
- महापाषाण कब्रों की शुरूआत 3000 साल पहले ऐसे पत्थर दफ्फं करने की जगह पर रखे गए थे| इसके प्रमाण दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर पूर्वी भारत व कश्मीर में मिले हैं|
- मृत्तकों को काले लाल मिट्टी के बर्तन के साथ के साथ दफनाया जाता था|
- सामाजिक असमानताएँ थी एक व्यक्ति के कब्र से 33 सोने के मनके व शंख वही दूसरे कंकालों के पास केवाक्ल मिट्टी के बर्तन ही मिले हैं|
- इनामगाँव: वयस्क लोगों को सीधा लिटा कर दफनाया जाता था सामान्यत घरों के अंदर शवों के पास मिट्टी के बर्तन मिले हैं| पुरातत्त्वविद को यहाँ स गेहूँ, जौ, चावल, दाल, मटर के अवशेषों के साथ कई जानवरों के हड्डियों के प्रमाण मिले हैं|