अध्याय - समीक्षा:
- यह एक विशेष किस्म का अभिलेख हैं जिसे प्रशासित कहते हैं| यह एक संस्कृत शब्द हैं, जिसका अर्थ 'प्रशंसा' होता हैं|
- समुंद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण ने समुंद्रगुप्त की प्रशस्ति लिखी| इसने आर्यावर्त के 9 शासकों को हराकर उनके राज्यों को अपने में मिलाया| दक्षिणपथ के 12 शासक इनसे हारे परन्तु इसने उन्हें शासन करने की अनुमति दी| इनकी माता कुमारदेवी लिछवी गण से थी पिता गुप्त वंश से संबंधित थी|
- चंद्रगुप्त द्वितीया ने शक शासकों को हराया|
- दक्षिण भारत में पल्लव व चालुक्य| पल्लव का राज्य कंजीपुराम से कावेरी नदी के डेल्टा तक एवंम चालुक्य का राज्य कृष्ण व तुंगभद्रा नदी के बीच| इनका प्रमुख राजा पुसकेशिन द्वितीय| अंत में राष्ट्रकूट व चोलावंशों से हारे|
- प्रशासन की प्राथमिक इकाई गाँव, गाँव में पद वंशानुगत होते थे, एवं एक व्यक्ति अनेक पदों पर रह सकता था|
- इसी समय सामंतों का उदय, इन्हें वेतन के स्थान पर भूमि मिलाती थी|
- ब्राह्राण, भूस्वामियों की संगठन होती थी जो सभा कहलाती थी| जहाँ ब्राह्राण नहीं थे वहाँ उर नामक सभा होती थी|
- नगरम व्यापारियों का सगठन इसपर शक्तिशाली व्यापारियों व भूस्वामियों का नियंत्रण था|
- राजा व ब्राह्राण संस्कृत बोलते थे वाही जनता प्रकृत बोलती थी| अछुतों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी|