अध्याय. 14 जल
अध्याय-समीक्षा:
- जल को वाष्प में परिवर्तित करने के प्रक्रम को वाष्पीकरण कहते हैं |
- वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल वायु में चला जाता है, बादल बनते हैं और वर्षा, ओले तथा हिम के रूप में जल पुन: धरती पर वापस आता है |
- जलवाष्प जब संघनित होकर जल की छोटी-छोटी बूंदों में परिवर्तित होकर नीचे की ओर गिरने लगता है, इसे ही वर्षा कहते है |
- भूमि में संचित जल को भौम-जल कहते है |
- भौम-जल को प्राप्त करने के लिए हमें हैण्डपम्प या नलकूप की आवश्यकता होती है |
- भौम-जल के अधिक उपयोग से भौम-जल के स्तर में बहुत अधिक गिरावट आई है, यह चिंता का विषय है |
- हमें भौम-जल को संरक्षित करके रखना चाहिए |
- पृथ्वी के जल का एक बहुत बड़ा भाग हिम के रूप में है |
- जलवाष्प को जल में परिवर्तित करने के प्रक्रम को संघनन कहते हैं |
- पृथ्वी का 2/3 भाग जल से घिरा हुआ है |
- जल का अधिकांश भाग समुद्रों और महासागरों में है |
- पर्वतों पर हिम पिघलकर जल बन जाती है। यह जल पहाड़ों से झरनों तथा नदियों के रूप में नीचे गिरता है
- वायु में जल, वाष्पन तथा संघनन के प्रक्रमों द्वारा प्रवेश करता है।
- पौधे उपयोग से अधिक जल को वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा जल को जलवाष्प के रूप में वायु में मुक्त कर देते हैं |
- पौधों की पत्तियों पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें रंध्र कहा जाता है वाष्पोत्सर्जन की क्रिया इन्ही रंध्रों के द्वारा होता है |
- पौधों की पत्तियों से जल का जलवाष्प के रूप में बाहर निकलना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है |
- जल चक्र में जल अपने तीनों अवस्थाओं ठोस, द्रव और गैस के रूप में पाया जाता है |
- पर्याप्त ऊँचाई पर वायु इतनी ठंडी हो जाती है कि इसमें उपस्थित जलवाष्प संघनित होकर छोटी-छोटी जल की बूँदों में परिवर्तित हो जाती है जिन्हें जलकणिका कहते हैं |
- जल पृथ्वी के ऊपरी पृष्ठ से जलवाष्प के रूप में वायु में जाता है, वर्षा, ओलों तथा हिम के रूप में वापस लौटता है और अंत में वापस महासागरों में लौट जाता है। जल के इस प्रकार चक्रण करने को जलचक्र कहते हैं |
- समुद्र तथा भूमि के बीच यह जलचक्र एक निरंतर प्रक्रम है। यह भूमि पर जल की आपूर्ति बनाए रखता है।
- हमारे देश में अधिकांश वर्षा मानसून के मौसम में होती है। विशेषतः गर्मी के गर्म दिनों के बाद वर्षा हमें राहत प्रदान करती है।
- भारी वर्षा बाढ़ का कारण बनता है |
- इस उपाय द्वारा वर्षा का जल एकत्र करने को वर्षा जल संग्रहण कहते हैं।
- जल संग्रहण नदी, तालाब, झील और भूमि में कर सकते हैं |