अध्याय समीक्षा :
- हरे एवं कोमल तने वाले पौधे शाक कहलाते हैं।
- कुछ पौधें में शाखाएँ तने के आधार के समीप से निकलती हैं। तना कठोर होता है परंतु अधिक मोटा नहीं होता। इन्हें झाड़ी कहते है।
- कुछ पौधे बहुत ऊँचे होते हैं तथा इनके तने सुदृढ़ एवं गहरे भूरे होते हैं। इनमें शाखाएँ भूमि से अधिक ऊँचाई पर तने के ऊपरी भाग से निकलती हैं। इन्हें वृक्ष कहते हैं ।
- कमजोर तने वाले पौधे सीधे खड़े नहीं हो सकते और ये भूमि पर फैल जाते हैं। इन्हें विसर्पी लता कहते हैं।
- कुछ पौधे आस-पास के ढाँचे की सहायता से उपर चढ़ जाते हैं। ऐसे पौधे आरोही कहलाते हैं।
- मनी प्लांट का पौधा आरोही पौधा का उदाहरण है |
- तने पौधे को सहारा देते है और जल तथा खनिज के परिवहन में सहायता करते हैं |
- पत्ती के चपटे हरे भाग को फलक कहते हैं।
- पत्ती की इन रेखित संरचनाओं को शिरा कहते हैं।
- घास की पत्तियों में यह शिराएँ एक दूसरे के समांतर हैं। ऐसे शिरा-विन्यास को समांतर शिरा-विन्यास कहते हैं |
- पत्तियों पर शिराओं द्वारा बनाए गए डिजाइन को शिरा-विन्यास कहते हैं।
- पत्तियों की सतह पर छोटे-छोटे छिद्र पाए जाते है जिन्हें रंध्र कहते है | रंध्रों से गैसों का आदान-प्रदान होता है | रंध्रो से वत्पोत्सर्जन की क्रिया भी होती है |
- पत्ती का वह भाग जिसके द्वारा वह तने से जुड़ी होती है, पर्णवृंत कहते है।
- जिन पौधों की मुख्य जड सीधे मिट्टी के अंदर जाती है ऐसे जड़ को मूसला जड़ कहते है।
- जिन पौधों की जड़े एक समान दिखाई देती है। रेशेदार जड़ कहते है।