अध्याय - समीक्षा:
- अफगानी शासक अहमदशाह अब्दाली ने 1748-1761 के बीच पाँच बार उत्तरी भारत पर आक्रमण किया और लूटपाट मचाई (1713-1754) और शाह आलम द्वितीय (1754-1759) की हत्या और दो अन्य बादशाहों, अहमदशाह (1748-1754) और शाह आलम द्वितीय को उनके अभिजातों ने अँधा कर दिया।
- आसफ जाह ने दक्कन के विद्रोहों और दरबार की प्रतिस्पर्धा का फायदा उठाकर हैदराबाद का स्वतत्र शासक बन गया।
- आसफ जाह ने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हे जागीरे प्रदान करि।
- हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों और पठारी क्षेत्र के तेलगू सेनानायको से युद्ध में सदा संलग्न रहता था।
- उसने अनेक राजपूत जमींदारियों और रुहेलखंड के अफगानो की उपजाऊ कृषि भूमियों जो अपने राज्य में मिला लिया।
- सआदत खान ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ , साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था।
- वह राजस्व का ठेका सबसे ऊँची बोली लगाने वाले इजारेदार को देता था।
- जोधपुर राजघराने ने नागौर को जीत लिया , वही अम्बर ने भी बूंदी के बड़े-बड़े हिस्सों पर अपना कब्ज़ा कर लिया।
- सवाई राजा जय सिंह ने जयपुर में अपनी नई राजधानी स्थापित की और 1722 में उसे आगरा की सूबेदारी मिल गई।
- सत्रहवीं शताब्दी के दौरान सिक्ख एक राजनैतिक समुदाय के रूप में गठित हो गए।
- गुरु गोविन्द ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना से पूर्व और उसके पश्चात् राजपूत व मुग़ल शासकों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ी।
- 1708 में गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में ' खालसा ' ने मुग़ल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए।
- इससे सिंधिया, गायकवाड़ और भोसले जैसे मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएं खड़ी करने के लिए संसाधन मिले।
- उज्जैन सिंधिया के संरक्षण में और इंदौर होल्कर के में आश्रय में फलता-फूलता रहा। मराठों द्वारा नियंत्रित इलाकों में व्यापार के नए मार्ग खुले।
- चूड़ामल में नेतृत्व में दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्रो पर नियंत्रण।
- 1680 के दशक तक दिल्ली और आगरा पर प्रभुत्व।
- जाट, समृद्ध कृषक थे उनके प्रभुत्व क्षेत्र में पानीपत तथा बल्लभगढ़ जैसे शहर महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गए।
- सूरजमल के राज्य में भरतपुर शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा।
- फ़्रांसिसी और अमीरीकी क्रांतियों ने धीरे-धीरे प्रजाओं को नागरिको में बदल डाला।