अध्याय - समीक्षा
- मुग़ल दो महान शासक वंशों के वंशज थे|
- ईराक एवं वर्तमान तुर्की के शासक तैमूर (जिसकी मृत्यु 1404 में हुई) के वंशज थे|
- मुगल अपने को मुगल या मगोल कहलवाना पसंद नहीं करते थे|
- मुगल, तौमूर के वंशज होने पर गर्व का नुभव करते थे, ज्यादा इसलिए क्योंकि उनके इस महान पूर्वज ने 1398 में दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया था|
- प्रथम मुगल शासक बाबर (1526 - 1530) ने जब 1494 में फर्घाना राज्य का उत्तराधिकार प्राप्त किया, तो उसकी उम्र केवल बाढ़ वर्ष की थीं|
- मुगलों ने अनेक वर्षों तक भटकने के बाद 1504 में काबुल पर कब्ज़ा कर लिया|
- मुगलों ने 1526 में दिल्ली के सुलतान इब्राहिम लोदी को पानीपत में हरे और दिल्ली और आगरा कोा पने कब्ज़ा में कर लिया|
- इस छोटे समूह के साथ - साथ उन्होंने शासक वर्ग में ईरानियों, भारतीय मुसलामानों, अफ़्गानों, राजपूतों, मराठों और अन्य समूहों को सम्मिलित किया| मुगलों की सेवा में आने वाले नौकरशाह 'मनसबदार' कहलाए|
- 'मनसबदार' शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्तियों के लिए होता था, जिन्हें कोई मंसब यानी कोई सरकरी हैसियत अथवा पद मिलाता था|
- अकबर के राजस्वमंत्री टोडरमल ने दस साल (1570 - 1580) की कालावधि के लिए कृषि की पैदावार, कीमतों और कृषि भूमि का सावधानीपूर्वक सर्वेक्षण किया|
- प्रतेक सूबे को राजस्व मंडलों में बाँटा गया और प्रत्येक की हर फसल के लिए राजस्व दर की अलग सूची बनायीं गई| राजस्व करने की इस व्यवस्था को 'ज़ब्त' कहा जाता था|
- अबुल फज़ल के अनुसार साम्राज्य की प्रांतों में बाँटा हुआ था, जिन्हें 'सूबा' कहा जाता था| सूबे के प्रशासक 'सूबेदार' कहलाते थे, जो राजनैतिक तथा सैनिक, दोनों प्रकार के कार्या का निर्वाह करते थे|
- प्रत्येक प्रांत में एक वित्तीय अधिकारी भी होता था जो 'दीवान' कहलाता था|
- 1570 में अकबर जब फतेहपुर सीकरी में था, तो उसने उलेमा, ब्राह्रणों, जेसुइट पादरियों (जो रोमन कैथोनिक थे) और ज़रदुश्त धर्म अनुयायियों के साथ धर्म के मामलों पर चर्चा शुरू की|