अध्याय - समीक्षा:
- 1000 साल पहले चोल राजाओ की राजधानी तंजावूर थी।
- बारहों महीने कावेरी नदी तंजावूर के पास से बहती थी।
- तंजावूर नगर का वास्तुकार, कुंजर मल्लन राजराज पेरू थच्चन ( मंदिर के दीवार पर उत्कीर्ण ) था।
- तंजावूर के निकटवर्ती नगर उरैयूर में सालीय बुनकर के कपड़े व स्वामी मलाई में कांस्य मूर्तियाँ बनाई जाती थी।
- तंजावूर एक मंदिर नगर का भी उदहारण है।
- यह बारहवीं शताब्दी में चौहान राजाओं की राजधानी।
- मुगलों के शासन में यह ' सूबा ' मुख्यालय बन गया।
- बारहवीं शताब्दी में सुप्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मुयनुद्दीन चिस्ती यहाँ बस गए थे।
- व्यापारी काफिले बनाकर यात्रा करते थे और अपने हितो के लिए व्यापर संघ यानि गिल्ड बनाते थे।
- दक्षिण भारत में आठवीं शताब्दी में सबसे प्रसिद्ध मणिग्रामम और नानादेशी संघ थे।
- ये व्यापार संघ प्रायद्वीप के भीतर और दक्षिण-पूर्व एशिया तथा चीन के साथ भी व्यापार करते थे।
- चेट्टियार और माडवाडी ओसवाल जैसे समुदाय आगे चलकर देश के प्रमुख/प्रधान व्यापारी समूह बन गए।
- गुजरातियों में हिन्दू बनियाँ और मूसलिम बोहरा लाल सागर, फारस की खाड़ी , पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण तथा पूर्व एशिया तथा चीन में कपड़े मसाले का व्यापर करते थे। बदले में अफ्रका से सोना और हाथी दाँत एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया और चीन से मसाले, टिन , मिटटी के नील बर्तन और चाँदी लाते थे।
- सूरत एक सर्व देशीय नगर था , जहां सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे।
- सत्रहवीं शताब्दी में वहाँ पुर्तगालियों, डचों और अंग्रेजों के कारखाने एवं मालगोदाम थे।
- सूरत से जारी की गयी हुंडियो को दूर-दूर तक मिस्श्र में काहिरा, इराक में बसरा और बेल्जियम में एंटवर्प के बाजारों में मान्यता प्राप्त थी।
- अठारहवीं शताब्दी में बम्बई , कलकत्ता और मद्रास नगरों का उदय हुआ जो आज प्रमुख महानगर है।
- ब्लैक यानी देशी व्यापारियों और शिल्पकारों को इन ' ब्लैक टाउन्स में सीमित कर दिया गया।
- गोर शासको ने मद्रास में फोर्ट सेंत जॉर्ज और कलकत्ता में फोर्ट सेंत विलियम की शानदार कोठियों में अपने आवास बनाए।