अध्याय - समीक्षा:
- कोई भी पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ दर्पण कि भाँति कार्य करती है|
- प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता हैं|
- अवतल लेंस सदैव लैंस सदैव सीधा, आभासी तथा साइज़ में बिंब से छोटा प्रतिबिंब बनता हैं|
- श्वेत प्रकाश सात वर्णा का मिश्रण हैं|
- उत्तल लेंस वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बना सकता हैं| जब बिंब लेंस के अत्यंत निकट रेखा जाता हैं, तो बनने वाला प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आवर्धित होता हैं| जब उत्तल लेंस को, वस्तुओं को आवर्धित करके देखने के लिए उपयोग किया जाता हैं, तो उसे आवर्धक लेंस कहते हैं|
- उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा, आभासी तथा साइज़ में बिंब से छोटा होता हैं|
- दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में, बिंब क वाम भाग प्रतिबिंब के दक्षिण भाग कि भाँति दिखाई देता हैं तथा बिंब का दक्षिण भाग प्रतिबिंब के वाम भाग कि भाँति दिखाई देता हैं|
- समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा होता हैं यह आभासी होता हैं, तथा बिंब के सामान साइज़ का होता हैं| प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतन ही दूरी पर बनता हैं, जीतनी कि दर्पण के समाने बिंब कि दूरी होता हैं|
- अवतल दर्पण वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बना सकता हैं| जब बिंब को दर्पण के अत्यंत निकट रखते हैं, तो प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आवर्धित होता हैं|
- जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त न किया जा सके, उसे आभासी प्रतिबिंब कहते हैं|
- जो प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सके, वास्तविक प्रतिबिंब कहलाता हैं|
- प्रकाश सरक रेखा के अनुदिश गमन करता हैं|