अध्याय - समीक्षा:
- मछलीपट्नम सत्राहवीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में विकसित हुआ।
- अठाहरवीं सदी के आखिर में जब व्यापार बम्बई, मद्रास और कलकत्ता के नए ब्रिटिश बंदरगाहों पर केन्द्रित होने लगा तो उसका महत्व घटता गया।
- अठारहवीं सदी के आखिर में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास का महत्व प्रेजिडेंसी शहरों के रूप में तेजी से बढ़ रहा था। ये शहर भारत में ब्रिटिश सत्ता के केंद्र बन गए थे।
- जब अंग्रेजो ने स्थानीय राजाओं को हरा दिया और शासन के नए केंद्र पैदा हुए तो क्षेत्राय सत्ता के पुराने केंद्र भी ढह गए। इस प्रक्रिया को अकसर विशहरीकरण कहा जाता है।
- बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में केवल 11 प्रतिशत लोग शहरों में रहते थे।
- प्रेजिडेंसी - शासन की सुविधा के लिहाज से औपनिवेशिक भारत को तीन "प्रेजिडेंसी" (बम्बई, मद्रास और बंगाल) में बाँट दिया गया था। ये तीनों प्रेजिडेंसी सूरत, मद्रास और कलकत्ता में स्थित ईस्ट इंडिया कंपनी की "फक्ट्रियों" (व्यापारिक चौकियों) को ध्यान में रखकर बनायी गई थीं।
- शहरीकरण - ऐसी प्रक्रिया जिसमें अधिक से अधिक लोग शहरों और कस्बों में जाकर रहने लगते हैं।
- सारी राजधानियों में सबसे शानदार राजधानी शाहजहाँ ने बसाई थी। शाहजहाँनबाद की स्थापना 1639 मैं शरू हुई।
- जामा मसजिद भारत की सबसे विशाल और भव्य मसजिदों में से एक थी। उस समय पूरे शहर में इस मसजिद से ऊँचा कोई स्थान नहीं था।
- 1803 में अंग्रजों ने मराठों को हराकर दिल्ली पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। क्योंकि ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता थी इसलिए मुगल बादशाह को लाल किले के महल में रहने की छूट मिली हुई थी।
- दिल्ली 1911 मैं ब्रिटिश की राजधानी बनाने के बाद बनान शुरू हुआ था
- मद्रास, बम्बई या कलकत्ता में भारतीयों और अंग्रेजों बस्तियाँ अलग-अलग होती थीं। भारतीय लोग "काले" इलाकों में और अंग्रेज लोग सुसज्जित "गोरे" इलाकों में रहते थे।
- दिल्ली में ऐसा नहीं था। ख़ासतौर से उन्नीसवीं सदी के पूर्वधार में दिल्ली के अंग्रेज भी पुराना शहर के भीतर अमीर हिंदुस्तानियों के साथ ही रहा करते थे। वे भी उर्दू/फारसी संस्कृति व शायरी का मजा लेते थे और स्थानीय त्योहारों में हिस्सेदारी करते थे।
- 1824 में दिल्ली कॉलेज की स्थापना हुई जिसकी शुरूआत अठारहवीं सदी में मदरसे के रूप में हुई थी।यहाँ मुख्य रूप से उर्दू भाषा में काम होता था।
- बहुत सारे लोग 1830 से 1857 की अवधि को दिल्ली पुनर्जागरण काल बताते हैं।
- 1877 में वायसरॉय लिटन ने रानी विक्टोरिया को भारत की मलिका घोषित करने के लिए एक दरबार का आयोजन किया।
- 1911 में जब जॉर्ज पंचम को इंग्लैंड का राजा बनाया गया तो इस मौके पर दिल्ली में एक और दरबार का आयोजन हुआ। कलकत्ता की बजाय दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने के फैसले का भी इसी दरबार में ऐलान किया गया।
- तत्कालीन शहर के दक्षिण में रायसीना पहाड़ी पर दस वर्ग मील के इलाके में नयी दिल्ली का निर्माण किया गया। एडवर्ड लटयंस और हर्बर्ट बेकर नाम के दो वास्तुकारों को नयी दिल्ली और उसकी इमारतों का डिजाइन तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया।
- नयी दिल्ली स्थित सरकारी परिसर में दो मील का चौड़ा रास्ता, वायसरॉय के महल (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) तक जाने वाला किग्सवे (वर्तमान राजपथ), और उसके दोनों तरफ सचिवालय की इमारतें बनाई गईं।
- नयी दिल्ली के निर्माण में लगभग 20 साल लगे।
- 1931 की जनगणना से पता चला कि पुराने शहर के इलाके में भयानक भीड़ हैं। यहाँ प्रति एकड़ 90 लोग रहते थे जबकि नयी दिल्ली में प्रति एकड़ केवल 3 लोगों का औसत था।
- दिल्ली सुधार ट्रस्ट का गठन 1936 में किया गया। इस योजना के तहत संपन्न लोगों के लिए दरियागंज दक्षिण जैसे इलाके बनाए गए। यहाँ पार्कों के इर्द-गिर्द रिहायशी मकान बने। मकानों के भीतर निजता की नयी सोच के हिसाब से जगह बँटी हुई थी।