अध्याय-समीक्षा:
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वे ईंधन जिनका निर्माण सजीव प्रणियों के मृत अवशेषों से होता है इन्हें जीवाश्मी ईंधन कहते है। जैसे - कोयला । - मृत वनस्पति के धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनीकरण कहते है|
- कोक एक कठोर , सरंध्र और काला पदार्थ है। यह कार्बन का लगभग शुद्ध रूप है। कोक का उपयोग इस्पात के औद्योगिक निर्माण और बहुत से धातुओं के निष्कर्षण में किया जाता है।
- कोयला का रासायनिक गुणधर्म : वायु में गर्म करने पर कोयला जलता है और मुख्य रूप से कार्बन डाईआॅक्साइड गैस उत्पन्न करता है।
- कोलतार : यह एक अप्रिय गंध वाला काला गाढ़ा द्रव होता है। यह लगभग दो सौ पदार्थो का मिश्रण होता है। इसका उपयोग औद्योगिक निर्माण में संश्लेषित रंग , औषधि , विस्फोटक , सुगंध , प्लास्टिक आदि कार्यो में होता है।
- कोयले के प्रक्रमण द्वारा कोक बनाते समय कोयला गैस प्राप्त होता है। इसका उपयोग उद्योगों में ईंधन के रूप में की जाती है।
- हल्के वाहनों में पेट्रोल का उपयोग होता है।
- बिटुमेन: पेट्रोलियम का एक उत्पाद है जिसे सडक निर्माण हेतु उपयोग में लाया जाता है |
- पेट्रोलियम को काला सोना कहते है |
- पेट्रोलियम का उपयोग विभिन्न उत्पादों में किया जाता है । इनका अपना बहुत अधिक व्यवसायिक महत्व है। इसलिए इसे काला सोना कहते है।
- पेट्रोलियम गैस , पेट्रोल , डीजल , स्नेहक तेल , पैराफिन मोम , किरोसिन तेल आदि। पेट्रोलियम के विभिन्न संघटक हैं जो पेट्रोलियम परिष्करणी से प्राप्त होते है।
- पेट्रोलियम विभिन्न संघटकों को पृथक करने के प्रक्रम को परिष्करणी कहते है |
- पेट्रोलियम उत्पाद एक अन्य संघटक पैराफिन मोम है जिसका उपयोग मरहम , मोमबती और वैसलीन बनाने में किया जाता है।
- कोयला और पेट्रोलियम जीवाश्म ईंधन है। इनके बनने मंें लाखों वर्ष का समय लग जाता है। जबकि इसी तरह अंधाधुंध उपयोग होता रहा तो ये सौ वर्षो में ही समाप्त हो जाएगें । इनकी बनने कि प्रक्रिया जटिल है। इसलिए जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन है।
- लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व जलीय क्षेत्रों के धने वन जो बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रक्रमों के कारण मृदा के अंदर दब गए थे। उनके उपर अधिक मृदा दब जाने के कारण ये संपिडित हो गए । जैसे जैसे वे गहरे होते गए उनका ताप भी बढ़ता गया , उच्च दाब और उच्च ताप पर पृथ्वी के भीतर मृत पेड पौधें धीरे धीरे कोयले में परिवर्तित हो गए। यह प्रक्रम कार्बनीकरण कहलाता है।
- पेट्रोलियम का निर्माण समुद्र में रहने वाले जीवों से हुआ । जब ये जीव मृत हुए , इनके शरीर समुद्र के पेंदे में जाकर जम गए और फिर रेत तथा मिट्टी की तहों में ढ़क गए। लाखों वर्षों में वायु की अनुपस्थिति , उच्च ताप और उच्च दाब ने मृत जीवों को पेट्रोलियम में परिवर्तित कर दिया ।
- भारत में पेट्रोलियम पदार्थो के संरक्षण PCRA पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान समिति करता है |