अध्याय 2. भारत का भौतिक स्वरुप
मुख्य बिंदु
- भारत में हर प्रकार कि भू - आक्रतियाँ पायी जाती है जैसे - पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार तथा द्वीप समूह |
- यहाँ विभिन्न प्रकार कि शैले पायीजाती है जिनमें से कुछ संगमरमर कि तरह कठोर होती है ( ताजमहल के निर्माण में प्रयोग हुआ है ) एवं कुछ सेलखड़ी कि तरह मुलायम होती है ( जिसका प्रयोग टेलकम पावडर बनाने में होता है )
- भारत में मृदा के रंगों में भिन्नता पायी जाती है क्योकि मृदा विभिन्न प्रकार कि शौलो से बनी होती है |
- भारत का निर्माण विभिन्न भूगर्भीय कालों के दौरान हुआ है जिसने इसके उच्चावचों को प्रभावित किया है |
- प्रथ्वी कि ऊपरी पर्पटी सात बड़ी एवं कुछ प्लेटों से बनी है |
- प्लेटों कि गति के कारण प्लेटों के अंदर एवं ऊपर कि ओर स्थित महाद्वीप शैलों में दबाब उत्पन्न होता है इसके परिणाम वलन भ्रंशीकरन तथा ज्वालामुखीय क्रियाएँ होती है |
- गोडवाना भूमि( प्रायद्वीपीय भाग ) ये प्राचीन विशाल महाद्वीप पैंजिया का दक्षिण भाग है जिसके उत्तर में अंगार भूमि है |
- भारत कि पर्वत श्रृंखलाएँ पश्चिम - पूर्व दिशा में सिधुं से लेकर ब्रहमपुत्र तक फैली है |
- हिमालय विश्व कि सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है और एक अत्यधिक असम अवरोधों में से एक है |
- हिमालय पर्वत 2,400 कि.मी. कि लंबाई में फैले एक अर्द्धवृत का निर्माण करते है | इसकी चौराई कश्मीर में 400 कि.मी. एवं अरुणाचल में 150 कि.मी.है |
- हिमालय को तीन भागों में बाँटा जा सकता है इन श्रृंखलाओं के बीच बहुत अधिक संख्या में घाटियाँ पाई जाती है :- (i) सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रृंखला को महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि कहते हैं जिसमें 6000 मीटर की औसत ऊचाई वाले सर्वाधिक ऊँचे शिखर हैं |(ii) हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित श्रृंखला सबसे अधिक असम है एवं हिमाचल के नाम से जानी जाती हैं| इनकी ऊंचाई 3700 मीटर से 4500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है |(iii) पीर पंजाब श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्त्पूर्ण श्रखला है धौलधर एवं महाभारत श्रृंखलाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं इसी श्रृंखला में कश्मीर कि घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लु कि घाटियाँ स्थित है इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरो के लिए जाना जाता है |
- हिमालय की सबसे बाहरी श्रृखला को शिवालिक कहा जाता है | इनकी चौड़ाई 10 से 50 कि.मी.तथा ऊँचाई 900 से 1.100 मीटर के बीच है |
- निम्न हिमाचल तथा शिवालिक के बीच में स्थित लम्बवत घाटी को दून के नाम से जाना जाता है | कुछ प्रसिद्ध दून हैं :- देहरादून कोटलीदून एवं पटलीदून |
- सतलुज एवं सिधुं के बीच स्थित हिमालय के भाग को पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है|
- सतलुज तथा काली नदियाँ के बीच स्थित हिमालय के भाग को कुमॉऊ हिमालय के नाम से भी जाना जाता है | काली तथा तिस्ता नदियाँ नेपाल हिमालय का एवं तिस्ता तथा दिहांग नदियाँ असम हिमालय का सीमाकन करती है |
- उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणाली - सिंधु, गंगा एवं ब्रहमपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना है | यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है |
- ब्रहमपुत्र नदी में स्थित मजोली विश्व का सवसे बड़ा नदीय द्वीप है | जहाँ लोगों का निवास हैं |
- दोआब का अर्थ है दो नदियों के बीच का भाग | दोआब दो शब्दों से मिलकर बना है - दो तथा आब अर्थात पानी |
- पंजाब दो शब्दों से मिलकर बना है - पंज का अर्थ है पांच तथा आब का अर्थ है पानी |
- सिंधु तथा इसकी सहायक नदियाँ झेलम चेनाब रावी ब्यास तथा सतलुज हिमालय से निकलती है |
- नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक कि ढाल पर 8 से 16 कि.मी.के चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती है | इसे भाबर के नाम से जाना जाता है |
- प्रायद्विपय पठार एक मेज कि आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है |
- प्रायद्विपय पठार कि एक विशेषता यहाँ पायी जाने वाली काली मृदा है, जिसे दक्कन ट्रैप के नाम से भी जाना जाता है इसकी उत्त्पति ज्वालामुखी से हुई है इसलिए इसके शैल आग्नेय है |
- भारतीय मरूस्थल क्षेत्र कि सबसे बड़ी नदी लूनी नदी है |
- भारत में तटीय मैदान पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल कि खाड़ी तक विस्तृत है |
- बंगाल कि खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है उत्तरी भाग में इसे उत्तरी सरकार कहा जाता है | जबकि दक्षिणी भाग किरोमंडल तट के नाम से जाना जाता है |
- भारत कि बड़ी नदियाँ जैसे - महानदी , गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी इस तट पर विशाल डेल्टा का निर्माण करती है|
- चिल्का झील भारत में खारे पानी कि सबसे बड़ी झील है यह उड़ीसा में महानदी डेल्टा के दक्षिण में स्थित है|
- भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर स्थित है |
- प्रवाल मुख्यतः तीन प्रकार के हते है :- (i) प्रवाल रोधिका (ii) तटीय प्रवाल भित्ती तथा (iii) प्रवाल वलीय
- प्रवाल पालिप्स कम समय तक जीवित रहने वाले सूक्ष्म प्राणी है, जो कि समूह में रहते है | इनका विकास छिछले तथा गर्म जल में होता है |
- द्वीप आस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ प्रवाल रोधिका का अच्छा उदाहरण है | प्रवाल वलय द्वीप गोलाकार या शू आकार वाले रोधिका होते है |