अध्याय 3 . अपवाह
मुख्य बिंदु :-
- अपवाह शब्द एक क्षेत्र के नदी तंत्र कि व्याख्या करता है|
- एक नदी तंत्र द्वारा जिस क्षेत्र का जल प्रवाहित होता है उसे एक अपवाह द्रोणी कहते है |
- कोई भी ऊँचा क्षेत्र, जैसे - पर्वत या उच्च भूमि दो पड़ोसी अपवाह द्रोनियों को एक दुसरे से अलग करती है | इस प्रकार कि उच्च भूमि को जल विभाजन कहते है |
- भैगोलिक आकृतियों के आधार पर भारतीय नदियों को दो भागो में विभाजित किया गया है - (i) हिमालय कि नदियाँ (ii) प्रायद्विपीय नदियाँ
- हिमालय की अधिकतर नदियाँ बारहमासी होती है क्योंकि इनमें वर्ष भर पानी रहता है |
- हिमालय कि दो मुख्य नदियाँ सिन्धु तथा ब्रहमपुत्र इस पर्वतीय श्रृखला के उत्तरी भाग से निकलती है इन नदियों ने पर्वतों को काटकर गार्जों का निर्माण किया है |
- विश्व कि सबसे बड़ी अपवाह द्रोणी मिस्त्र कि नील नदी है |
- अपवाह प्रतिरूप चार प्रकार कि होती है :- (i) द्रुमाकृतिक अपवाह (ii) जालीनुमा अपवाह (iii) आयताकार अपवाह (iv) अरीय अपवाह
- सिन्धु, गंगा , तथा ब्रहमपुत्र हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं |
- सिन्धु नदी विश्व कि लंबी नदियों में से एक है तथा इसकी लम्बाई 2,900 कि.मी.है|
- सिन्धु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है | पश्चिम कि ओर बहती हुई यह नदी भारत में जम्मू से कश्मीर के लद्दाख जिले से प्रवेश करती है |
- गंगा कि मुख्य धारा भागीरथी हिमानी से निकलती है तथा अलखनंदा उत्तरांचल के देवप्रयाग में इससे मिलती है |गंगा कि लम्बाई 2,500 कि.मी.से अधिक है |
- हिमालय से निकलने वाली बहुत सी नदियाँ आकर गंगा में मिलती हैं, इनमें से कुछ प्रमुख नदियाँ हैं :- यमुना, घाघरा, गंडक तथा कोसी |
- यमुना नदी हिमालय के यमुनोत्री हिमानी से निकलती है यह गंगा के दाहिने किनारे के समांनातर बहती है तथा इलाहबाद में गंगा में मिल जाती है |
- घाघरा, गंडक तथा कोसी, नेपाल हिमालय से निकलती है |
- अम्बाला से सुंदरवन तक मैदान कि लम्बाई लगभग 1,800 कि.मी.है, परन्तु इसके ढाल में गिरावट मुश्किल से 300 मीटर है |
- ब्रहमपुत्र को तिब्बत में सांगपों एवं बाग्लादेश में जमुना कहा जाता है |
- प्रायद्विपीय भाग कि अधिकतर मुख्य नदियाँ जैसे - महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी पूर्व कि ओर बहती हैं तथा बंगाल कि खाड़ी में गिरती है |
- नर्मदा एवं तापी दो ही बड़ी नदियाँ हैं जो कि पश्चिम कि तरफ बहती हैं और ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं |
- नर्मदा का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ी के निकट है यह पश्चिम कि ओर एक भ्रंश घाटी में बहती हैं समुद्रं तक पहुँचने के क्रम में यह नदी बहुत से दर्शनीय स्थलों का निमार्ण करती है |
- गोदावरी सबसे बड़ी प्रायद्विपीय नदी है यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चिमी घाट कि ढालो से निकलती हैं | इसकी लम्बाई 1,500 कि.मी. है यह बहकर बंगाल कि खाड़ी में गिरती हैं|
- गोदावरी में अनेक सहायक नदियाँ मिलती है | जैसे - पूर्णा, वर्धा, प्रान्हिता, मांजरा, वेनगंगा तथा पेनगंगा|
- महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ कि उच्चभूमि से है| इस नदी कि लम्बाई 860 कि.मी.है | इसकी अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा उड़ीसा में हैं |
- कृष्णा नदी महाबालेश्वर के निकट एक श्रोत से निकलती है कृष्णा कि लम्बाई 1400 कि.मी.है तथा इसकी सहायक नदियाँ हैं जैसे - तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी तथा भीमा |
- कावेरी नदी पश्चिमी घाट के ब्रहागिरी से निकलती है तथा इसकी लम्बाई 760 कि.मी. है और इसकी सहायक नदियाँ है जैसे - अमरावती, भवानी, हेमावती, तथा काबिनी |
- भारत में दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात कावेरी नदी है | इसे शिवसमुन्दरम के नाम से जाना जाता है | यह प्रपात मैसूर बंगलौर तथा कोलर स्वर्ण - क्षेत्र को विदधुत प्रदान करता है |
- पृथ्वी के धरातल का लगभग 71% भाग जल से ढका हैं, लेकिन इसका 97% जल लवणीय है |
- केवल 3% ही स्वच्छ जल के रूप में उपलब्ध है, जिसका तीन - चौथाई भाग हिमानी के रूप में है |
- राजस्थान कि सांभर झील जो एक लवण जल वाली झील है | इसके जल का उपयग नमक के निर्माण के लिए किया जाता है |
- मीठे पानी कि अधिकांश झीले हिमालय क्षेत्र में है | ये मुख्य: हिमानी द्वारा बनी है |
- भारत कि सबसे बड़ी मीठे पानी वाली प्राकृतिक झील है| डल झील ,भीमताल, नैनीताल ,लोकताल तथा बड़ापानी |
- नदियों पर बांध बनाने से झील का निर्माण हो जाता है जैसे - गुरु गोविन्द सागर (भाखड़ा - नगंल परियोजना )| झीलों का प्रयोग जलविधुत उत्पन्न करने के में भी किया जाता है |
- एलनीनो ठंडी पेरू जलधारा के स्थान पर अस्थायी तौर पर गर्म जलधारा के विकास को एलनीनो का नाम दिया गया है |
- एलनीनो स्पैनिश शब्द है जिसका अर्थ होता है बच्चा तथा जो कि बेबी क्राइस्ट क व्यक्त करता है क्योंकि यह धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है |
- मानसून का समय जून के आरम्भ से लेकर मध्य सितम्बर तक 100 से 120 दिनों के बीच होता है |
- ग्रीष्म ऋतू के अंत में कर्नाटक एवं केरल में प्राय: पूर्व - मानसूनी वर्षा होती है इसके कारण आम जल्दी पक जाते है तथा प्राय: इसे आम्र वर्षा भी कहा जाता है |
- मासिनराम विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है स्टैलेकटाइट गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है |
- गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के सघन आबादी वाले डेल्टा प्रदेशों में अक्सर चक्रवात आते हैं जिसके कारण बड़े पैमाने पर जान एवं माल कि क्षति होती है |
- पश्चिमी तट एवं उत्तर - पूर्वी भारत में लगभग 400 से.मी. वार्षिक वर्षा होती है किन्तु पश्चिमी राजस्थान एवं इससे सटे पंजाब हरियाणा एवं गुजरात के भागों में 60 से.मी. से भी कम वर्षा होती है |
- प्रायद्वीपीय पठार में तीनों ओर से समुन्द्रो के प्रभाव के कारण न तो अधिक गर्मी पडती है और न अधिक सर्दी |
- संपूर्ण भारतीय भूदृश्य इसके जीव तथा वनस्पति इसका कृषि - चक्र मानव - जीवन तथा उनके त्यौहार - उत्सव सभी इस मानसूनी लय के चरों ओर घूमते रहतें हैं |