अध्याय-समीक्षा :
- दो कण एक दूसरे को बल लगाकर अपनी ओर आकिर्षित करतें हैं । इस प्रकार के बल को गुरूत्वाकर्षण बल कहते हैं ।
- पृथ्वी द्वारा लगाए गए बल को गुरूत्व बल कहते है ।
- गुरूत्वाकर्षण बल वस्तुओ के द्रव्यमानो के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता हैं । जिन दो वस्तुओ के बीच यह बल लगता हैं ।
- कोई पिंड गुरूत्व बल अपने केन्द्र से लगाती हैं ।
- जब कोई भी वस्तु पृथ्वी की तरफ गिरती हैं तो हम कहते हैं कि वस्तु मुक्त पतन में हैं ।
- मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड के गुरूत्व बल के कारण उत्पन्न त्वरण को गुरूत्वीय त्वरण कहते हैं ।
- द्रव्यमान वस्तु मे उपस्थित कुल पदार्थ की मात्रा होती हैं । यह वस्तु के जड़त्व की माप होती है ।
- भार किसी वस्तु पर लगने वाला वह बल हैं, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती हैं ।
- द्रव में रखी किसी वस्तु के ऊपर, ऊपर की ओर द्रव के बल लगाने की प्रवृत्ति को उत्पलावकता कहते हैं ।
- G समानुपातिक रूप से स्थिर रहता है और ब्रम्हाण्ड के सभी स्थानों पर इसका मान समान रहता है इसलिए इसे सार्वत्रिक गुरूत्व स्थिरांक कहते है। इसका मान 6.673 x 10-11 N m2 Kg-2 इसका S.I मात्रक N m2 Kg-2.
- गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 ms-2 है |
- किसी वस्तु की सतह के लंबवत् लगने वाले बल को प्रणोद कहते है। इसका S.I मात्रक न्युटन N है।
- प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते है। इसका S.I मात्रक न्युटन Nm-2 है। इसे पास्कल Pa भी कहते है।
- जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह उपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाये गए तरल के भार के बराबर होता है।
- कागज की गेंद की अपेक्षा कागज पर वायु लगाया गया प्रतिरोध अधिक होता है । वायु भी कागज को इधर उधर हटा सकती हैं । अंत: कागज की शीट भी उसी के परिवर्तित रूप से गेंद से मन्द गिरेगी ।
- गुरूत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी की अन्य जगहो की अपेक्षा ध्रुवों पर अधिक है क्योकि पृथ्वी का धु्रव अन्य जगहों की अपेक्षा चपटा है जिससे पृथ्वी के केन्द्र से कम हो जाता है जिससे त्वरण का मान बढ़ जाता हैं ।