अध्याय - समीक्षा
- गति का प्रथम नियमः वस्तु अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा पर एकसमान गति की अवस्था में तब तक बनी रहती है, जब तक उस पर कोई असंतुलित बल कार्य न करे।
- वस्तुओं द्वारा अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का प्रतिरोध् करने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं।
- किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है। इसका S.I मात्रक किलोग्राम (kg) है।
- घर्षण बल सदैव वस्तु की गति का प्रतिरोध् करता है।
- गति का द्वितीय नियमः किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर वस्तु परआरोपित असंतुलित बल के समानुपाती एवं बल की दिशा में होती है।
- बल का S.I मात्राक Kgms-2 है। इसे न्यूटन के नाम से भी जाना जाता है तथा प्रतीक N द्वारा व्यक्त किया जाता है। 1 न्यूटन का बल किसी 1kg द्रव्यमान की वस्तु में 1 ms-2 का त्वरण उत्पन्न करता है।
- वस्तु का संवेग, उसवेफ द्रव्यमान एवं वेग का गुणनफल होता है तथा इसकी दिशा वही होती है, जो वस्तु के वेग की होती है। इसका S.I मात्रक Kgms-1 होता है।
- गति का तृतीय नियमः प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ये दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती हैं।
- किसी विलग निकाय में कुल संवेग संरक्षित रहता है।